गुरुवार, 24 सितंबर 2015

बंधुवा

बन्धुवा होना सहा नही जाता ,अब
हमें बन्धुवा बनाके क्यो रखे है ?
आखिर हमसे इतना काम क्यो करते है?
समाज आवाज क्यो नही उठाती है?
हम कब स्वतंत्र भारत में स्वतन्त्र होंगे?
स्वतन्त्र होंगे भी की
नही ?
आखिर कब तक मौन रहे
आयेंगे कोई मशीह ?
बंधुवा अब रहा नही जाता ,
इस दुनिया वाले ने हमे क्या नही समझ है ?
आखिर इतना काम क्यो करते है ?
अगर हमारे स्थान पर उनके बच्चे होते , तो
वह भी इसी तरह कार्य करता
क्या?
जुबान होके भी बेजुबान हु ,
क्यो की मैं शिक्षित नही हु
मेरी भाषा अलग है आपसे इसलिए
मैं बेजुबान हु क्योकि मुझे आपका भाषा समझ नही
आता ,
आखिर क्या बंधुवा से मुक्ति मिल पायेगी , क्या अब
बच्चे इस तरह कार्य करते नही मिलेंगे?
बच्चे को भगवान का रूप बोलते है ,
फिर क्यो कार्य करया जाता है उनसे?
नही होगा ऐसा कभी आखिर
क्यो??????

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