गुरुवार, 24 सितंबर 2015

"बालिका"

मैं तो मात्र बालिका हु
जब आप
मुझे स्नेह देते हो
तथा प्यार से बोलते हो
तब मैं
धान्य हो जाती हूँ
जब आप स्पर्श करते है
तब मैं आपकी बच्ची पवित्र हो जाती हूँ
जब आप मुझे किसी को छोटी उम्र में सौप देते हो
तब मैं
मनुष्य का शिकार हो जाती हो
और डरती हूँ
पर जब आप मुझे पुकारते है
तब मैं
किसी घर की बेटी नही तथा किसी घर की बहु नही होती हूँ
लेकिन मेरी विवह मेरे सही उम्र में हुआ होती है
तब मैं आपकी बेटी होती हूँ और किसी घर की बहु
और जब पुकारते है
तब मैं अपने शिशु के साथ आपके द्वार  में आती हु
आपने माता के साथ बातो में लीन हो जाती हूँ
विश्वास कीजिये
मेरे गला मत काटिये ।

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