मंगलवार, 27 सितंबर 2016

कैसा हैं छत्तीसगढ़

वास्तविकता दर्दभरी छत्तीसगढ़ की कहानी अमित चन्द्रवंशी"सुपा" के कलम से....

क्या था छत्तीसगढ़ और कैसा था छत्तीसगढ़?
आज का छत्तीसगढ़ वेदना से भरी पड़ी हैं, दिल  रुबरु हो जाता हैं और आँख नम हो जाता हैं जब  भ्रष्टाचार को देखता हूँ। जड़ से लेकर फल तक पुरे एक ही शिकंज के रुबरु है।वेदना भरी निगाहें से छत्तीसगढ़ डूबी हुई हैं। एक समय था, जब छत्तीसगढ़ में '36 किले' थे महानदी के दक्षिणी हिस्से में 18किले और उत्तरी हिस्से में 18किले थे; वास्तव में ये आज भी हैं पर अपना नाम दुनिया में क्या भारत में भी प्रसिद्ध नही कर पा रहे हैं।'भोरमदेव' छत्तीसगढ़ का खुजराहों के लिए प्रसिद्ध हैं, 'राजिम' में त्रिवेणी संगम हुआ हैं, माता बमलेश्वरी 'डोंगरगढ़' के पहाड़ में विराजमान हैं तथा हीरे की खान के लिए प्रसिद्ध है 'देवभोग'।

बस्तर की संस्कृति सदियों पुरानी है; आज भी वहाँ आदिवाशियो का झुण्ड रहता हैं, आदिवाशियो के लिए जो भी नेक कार्य करने का सोचते है और वह जैसे ही आगे बढ़ते हैं; उनको बम से बीच रास्ते में उड़ा दिया जाता हैं, उसका एक अंश देखने को मिलता हैं; 'बस्तर टाइगर' के नाम से प्रसिद्ध शहीद मेहन्द्र कर्मा सर जिन्हें दरभा घाटी में कांग्रेस के काफिला में बेरहमी से मर डाले थे,किसी को नही छोड़े थे। दर्दनाक भरी कहानी इस छत्तीसगढ़ का वर्तमान स्वरूप से परलक्षित होता हैं; इस धरती का सबसे सुन्दर जगहों में से एक जगह हैं 'बस्तर की वादी', वहाँ आज नक्सलिओं का ढेरा बना हुआ हैं, बस्तर एरिया की भविष्य सरकार के मुख में तमाचा मर रहे हैं; वहाँ के लोगो का हाल बेहाल हो गया हैं, न तो सुख साथ हैं न मुश्कान चहरे पर आती हैं ,जब जब वे लोग अपने मौहोल को देखते हैं तब उनके आँखे नम हो जाते हैं।

छत्तीसगढ़ की स्थिति सोचनीय हैं; एक समय था जब अंग्रेजो का शासन था तब धुप भरे बादल के नीचे मजदुरों की तरह खुद के खेतों में काम करते थे लोग और आज भी यही हो रहा हैं अकाल का सामना करना पड़ता हैं; ऊपर से मुहावज भी नही मिलता है , अंत में परिणाम आता हैं खुदखुशी का। कुछ चारा नही होता है और आजकल के सरकार में भी दम नही है कि किसानों के हित में कार्य करे; किसानों का सुनने वाले कोई नही हैं।छत्तीसगढ़ में आय दिन किसान खुदखुशी करते है; छत्तीसगढ़ की वेदना बड़ी सक्रमक हो गया हैं और यहाँ आय दिन भ्रष्टाचार बढ़ती जा रहा हैं। भिन्नता से भरी हुई हैं ,छत्तीसगढ़ की मार्मिक स्थिति वेदना से परिपुण हैं; आज बाबर्ता से कम नही है छत्तीसगढ़ का हाल, जहाँ स्कूल जाने के लिए जिंदगी दांव में लगी होती हैं और सड़क में चलना दुभर हो गया हैं।

न तो स्त्री सुरक्षित महसुस करती है न तो आम आदमी, कभी एसिड अटैक से सामना करना पड़ता है तो कभी बीच चौराहे पर कुचलाते हुए। छत्तीसगढ़ में सबसे अधिक छुआछुत हैं,  यहाँ आज भी लोग पुरानी परम्परा को मानते है जिससे आय दिन समाज में युद्ध छिड़ा हुआ रहता हैं।आज रास्ते में जिंदगी दाव पे लगी हैं, ट्रक वाले मस्त मगन से स्पीड में ट्रक दौड़ते हैं,उन्हें अपनी पड़ी रहती है और बीच रास्ते में कुचल दे रहे हैं।छत्तीसगढ़ में 90% दुर्घटना शराब पीकर गाड़ी चलते है उनके साथ ही होता है और अच्छे लोग दुर्घटना का शिकार बनते हैं। नशापान छोटे उम्र के बच्चे भी करने लगे हैं; छत्तीसगढ़ की आधी से अधिक जनता नशे में डूबे हुए हैं। इसका अंत भी नही हो रहा हैं, सरकार चुपी साधे बैठे हुए हैं और ऊपर से जो नेक कार्य करते है उनके ऊपर धारा लगाकर जेल भेज देते हैं; यहाँ की सरकार तो पैसे की लालच में डूबा हुआ है, भविष्य तो दिख नही रहा है और ऊपर से शिक्षा में घोटाला तथा नौकरी भी आउटसोर्सिंग के माध्यम से दूसरे राज्य के लोगो को दे रहे हैं फिर क्या छत्तीसगढ़ के पढ़े लिखे लोग आज बेरोजगार घुम रहे हैं; योग्यता है लेकिन उसके अनुसार काम नही मिल रहा हैं इस सबका जिम्मेवार छत्तीसगढ़ की सरकार हैं।

छत्तीसगढ़ की वेदना एक माँ की कहानी सी है कैसे एक माँ अपने बच्चे के लिए रोती हैं? वैसे ही छत्तीसगढ़ की भुमि हो गया हैं। यहाँ तो आये दिन दुःख का सामना करना पड़ता हैं; जिंदगी उलझ गया हैं।छत्तीसगढ़ की वेदना सरलता से मिट नही सकता हैं, भ्रष्टाचार पुरी जड़ से जकड़ा हुआ हैं जिन्हें पानी देने के लिए बहुत लोग हैं।

-अमित चन्द्रवंशी"सुपा"
उम्र-17वर्ष 'विद्यार्थी'
रामनगर,कवर्धा जिला-कबीरधाम
छत्तीसगढ़ मो.-8085686829

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