अमित चन्द्रवंशी"सुपा" भाई के कलम से नैतिकता का पाठ जो जीवन के अमरत्व स जी रहा हैं।
कहा गया हमारा शिष्ठाचार , परंपरा , शिक्षा , नैतिकता तथा कर्म इत्यादि विलुप्त होते नजर आ रहे हैं। आज कर्म करने का सोच एक जुनून भरी कहानी बन गया हैं, कहते बहुत लोग है पर करने के समय पीछे हट जाते हैं। सभ्यता के अनुरूप चलते है पर ये कैसे भुल गए कि आदिकाल में कोई जीव का हत्या नही करते थे फिर आज कैसे? ये हमारी सभ्यता हैं कुछ भी हो जश्न के रूप में माँस मछली बनता है , कहाँ गई मानवता ? अपने आपको मानव कहलाने वाले कभी सोचे हो आप मानव तो दूर आज राक्षस भी कहलाने में शर्म आएगा क्योकि राक्षस भी ऐसा कर्म नही करता था। एक जमाना था जब शीतलता( बरगद वृक्ष के नीचे) में योग , शिक्षा, ज्ञान , व्यायाम तथा सोते थे , प्रदूषण का कोई तनाव दिल में नही होता था ये हमारी विशिष्ट नैतिकता था।
उम्मीद से सभी जगह जीने का आस रहता था पर आज जीये भी तो कैसे दिन-ब-दिन प्रदूषण बढ़ते जा रहा है हमारी सभ्यता पुरी तरह लुप्त होते जा रहा है घोडा गाड़ी के जगह चरपहिया वाहन दतुन के जगह ब्रश और गुरुकुल के जगह स्कूल होगया हैं अब नैतिकता की बात आता हैं तब अनेकता में एकता की बात आता हैं जो छोटी सी शब्द है पर दिल को सभी के लिए एक समान व्यवहार के लिए प्रेरित करता हैं।"संस्कार, व्यवहार ,एकता ,ज्ञान, चरित्र और शील इत्यादि नैतिक का मूल तत्व है" जो सभी को अनुठा रिश्ता में बांधता हैं। इसके साथ जीवन में नैतिकता का पाठ हमेशा सत्य के राह पर चलते हैं। "जो जैसा करेगा वैसा भरेगा" कर्म ही हमारा नैतिक विचार उत्पन्न करता हैं तथा हमारा नैतिकता यही रहता है कि हम सदैव देश की सम्मान, जरूरतों की सेवा, प्रेम की सम्मान, मदद करना,हक दिलाना, जाति में विविधता न समझना, उच्च नीच का भेद नही, संस्कार, शिक्षा इत्यादि।
जय जवान जय किसान
-अमित चन्द्रवंशी"सुपा"
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