शुक्रवार, 23 सितंबर 2016

वर्तमान स्थिति के परिपेक्ष्य

मेरा एक सोच अमित चन्द्रवंशी"सुपा" वर्तमान स्थिति के परिपेक्ष्य।

कभी कभी सोचता हूँ?
हमारे हाल का जीमेवार कौन हैं? ये सोचते सोचते आँखे नम्  हो जाता हैं। हमारा नैतिकता किस रूट में पड़ी हुई हैं ये सोचते सोचते मन अंधकार के सागर में गोता लगाने लगता हैं; आखिर कब तक नैतिकता के साथ खिलवाड़ करते हुए नजर आयेंगे और कब तक मानवता शर्मसार करते हुए रहेंगे? शब्द छोटा है पर सोचने के लिए हिम्मत चाहिए! कब तक रोते हुए नजर आयेंगे? मंदिर के किनारे ,सड़क के किनारे, बीच सड़क के चौराहों पर आखिर कब तक भारत कि निर्धन गरीब नजर आयेंगे? उनके इंसाफ के लिये आवाज कब उठेगा? यहाँ तो हिन्दू-मुस्लिम , आमिर-गरीब बाँटते फिर रहे है फिर कैसे सोचे कि कोई निर्धन के इंसाफ के लिए खड़ा हो?

                     "डुबता हुआ चाँद, उगता हुआ सुरज" संजोग  दोनों कभी मिल नही सकते हैं; उसी तरह क्या आमिर-गरीब कभी मिल नही सकते क्या? आर्थिक प्रोब्लेम भविष्य के साथ खड़ा होता हैं, आखिर विकसित देश में नाम चाहिए तो गरीब को भी साथ लेकर चलना होगा अन्यथा हमारा देश हमेशा विकासशील ही रहेगा विकसित नही हो सकता! आपका एक सोच देश का भविष्य बदल सकता हैं, एक पहल तथा एक कार्य देश का इतिहास बदल सकता हैं।

             इंसान का दुःख इंसान ही समझता है, नही तो आज हमें जो आजदी मिली है वह नही मिला होता तो हम आज भी  अँग्रेजो के गुलाम होते और पड़े होते किसी कोने में नौकर की तरह। कभी सोचा कीजिए आप कैसे रहते है? और हमारे देश का भविष्य अर्थात् किसान , मजदुर तथा नौकर कैसे रहते हैं? हमेशा देश के हित के लिए सोचते हैं और कभी भी अपने लिए परन्तु दुसरे के लिए अन्न बोते हैं तथा मजदुर दुनिया के चमत्कार के लिए हमेशा कुछ नया ही करते हैं, "सात अजुबा प्रस्तुत है उदाहरण के लिए जैसे ताजमहल,चीन की दीवार,द ग्रेट पिरामिड ऑफ़ गीज़ा ,स्टैच्यू ऑफ़ लिबर्टी, चेचेन इटजा पिरामिड, कोलोसियम और रोमन कोलिसियम तथा माचू पिकचु(8000फिट) अबोव सी लेवल।"

                       आखिर इतना सब कुछ तो कर दिए फिर भी इन्हें सम्मान क्यों नही  देते हैं? आपने तो सिर्फ देखे है पर वे तो पुरा कर्म करके आज भविष्य के साथ देश को खड़ा किया हैं; वे नही होते तो कुछ भी नही होता, आप आज जहाँ है वहाँ नही होते; फिर कभी सोचे हो अन्न को आप कैसे फेक देते हैं? अकाल पड़ता है तब किसान सिर्फ आपके लिए कदम उठाता हैं, उसे पुनः गरीबी से सामना करना पड़ेगा और वह अनाज नही दे पाया जिन्हें उनका चाह था नही तो ऐसी अपने आप से खुदखुशी नही करते।

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