मानव जीवन पर कटाक्षवार अमित चन्द्रवंशी"सुपा" के कलम से...
अनेकता में एकता हिन्द की विशेषता बहुत सुहानी हैं। एक समय था जब हिन्द सोने की चिड़िया के नाम से जाना जाता था लेकिन वास्तव में अब दूर दूर तक नही हैं। भिन्नता में एकता खोता जा रहा है हिन्द की विशेषता कहि लुप्त होते जा रहा हैं फिर भी अनेकता में एकता के लिए महसुर भारत आगे चलकर विभिन्नता से परिपुड़ होने के कगार में हैं। संघर्ष में विराम नही हैं जहाँ पहले लड़कियो को चुल्हा चौकी से निकलने नही देते थे आज वही बेटी भारत का नाम सुमेर रही हैं सैनिक बॉडर खेल आईएएस आदि में अपना नाम पहले प्यादन में ला रही हैं फिर भी आज हमारा देश एकता से भिन्नता की ओर रुख कर रहा हैं जहाँ की संस्कृति में युद्ध के लिए अहेलिया रानी लक्ष्मी आई
वहाँ आज एक बेटी के बीच चौराहे पर इज्जत के साथ खिलवाड़ कर दिया जाता हैं वहाँ पे तमाशा देखने वाले बहुत हो जाते हैं 2को गिराने के लिए 20-30 लोग में एक भी आगे नही आते हैं कहाँ गई एकता? कहाँ हैं आपका मर्यादा? संघठन में शक्ति हैं मात्र नाम के लिए हो गया एक भी कंधा नही उठा "दाना मांजी" की पत्नी के लिए और तो और अपने देश की सरकार से मदत नही मिला "दूसरे देश के राष्ट्रपति ने हाथ बढ़ाया हैं" अहिंशा का पाठ पढ़ने वाले कहा थे उस समय जब इंसाफ के लिए "दामनी और निर्भया" जिंदगी और मौत से झुँझ रही थीं इंसाफ मे आवाज कहा सुने इंसाफ कहाँ था ? नबालिक घोषित कर दिया। अंजाम बहुत बुरा हुआ हैं फिर भिन्नता में एकता कहाँ से लाये यहाँ तो इंसानियत किसी कोने में पड़ी नजर आ रहा हैं अखण्डता में एकता हिन्द की विशेषता सिर्फ नारा बन गया हैं। जब जब देश में काली घटा छाई हैं तब तब कोई न कोई इंसाफ दिलाये हैं फिर कहाँ थे जब ये सब कार्य हो रहा था क्यों चुपी साधे बैठे थे?
जय हिन्द जय छत्तीसगढ़
-अमित चन्द्रवंशी"सुपा"
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