शनिवार, 27 अगस्त 2016

1.कहानी

1.कहानी अमित चन्द्रवंशी"सुपा" के हस्तलेखन प्रस्तुति

"बचने की उम्मीद नही हैं फिर भी अंतिम घडी तक  सत्य के साथ रहना सीखे"
 
बहुत समय पहले की बात हैं एक हस्ट फुस्ट दबंग व्यक्तितव वाला इंसान राज जी एक गॉव में रहते था उनके पास दौलत की कोई कमी नही थे जरूरत से भरपुर था राज जी का इज्जत सभी लोग करते थे गाँव में कुल 412 लोग रहते थे  पर उनके गाँव में स्कूल अस्पताल से दूर दूर तक अंजान थे उनका जीवन ख़ुशी ख़ुशी व्यतीत हो रहा था गाँव का मुखिया राज जी थे पर एक दिन वहाँ बाढ़ आ गया पुरी गाँव डुबने को था पर वह इंसान अपने फैमिली के साथ आगे बड़ जाने का सोच पर एक दफा उनके पुरे गाँव वाले का ख्याल आया इनका क्या होगा किसी से मदद् की उम्मीद नही थी , सोचा ये मेरे उच्चाई का सफर तय इनके कारण हैं नही तो मैं आज डुबता हुआ सितारा होता जब जरूरत से ज्यादा अनाज  इन्होंने मेरे गोदाम में डाले इन्हें छोड़ना उचित नही हैं पर कर भी कुछ नही सकता था अपने 2पुत्र और पत्नी के साथ गाँव से शहर की ओर चल पड़े लेकिन उन्हें रास्ते भर बात सताते रहा कि कैसे होंगे मेरे गाँव वाले उन्हें अंदर ही अंदर बहुत दुःख हो रहा था फिर कुछ दिनों बाद जब शहर से वह गाँव गए तब वहाँ देखे कि गाँव वाले सब कुशल थे उन्हें बड़ा अफसोस हुआ फिर पूछे यहाँ तो बाढ़ आई थी किसी की बचने की कोई उम्मीद नही थी फिर कैसे बच गए आप सब तब गाँव का बुज़ुर्ग बोलते है कि हम नही बचते अगर हम हिम्मत नही करते और  ये आपका मकान और गोदाम नही होता तो अंतिम समय सोच कर सब गोदाम और मकान के ऊपर कैसे भी करके चढे और 2दिनों तक बैठे रहे फिर जाकर पानी से बचाव कर पाये अंतिम घड़ी तक हम हौसले को खोने नही दिए तब राज जी रोकर बोले मुझे भी जाने का मन नही था फिर कर भी कुछ नही सकता था मुझे डूबता सुरज दिखने लगा था तब बुजुर्ग बोलते हैं कि बेटा  "आत्मविश्वास से लिया फैसला नई सीढ़ी चढ़ने के लिए जरूरत पड़ती हैं सफलता उसी के हाथ लगती हैं जो अंतिम श्वाश तक अपने कार्य के प्रति संघर्ष करता हैं"
"सत्य को डूबते हुए कभी अकेले नही छोड़ना चाहिए आखिर सत्य अंतिम घड़ी तक जीतने की हिम्मत करता हैं।"

-अमित चन्द्रवंशी"सुपा"

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