छत्तीसगढ़ी कहानी अमित चन्द्रवंशी"सुपा" के संग
एक ठन गाँव म डोकरा डोकरी नदी के पार म झोपडी म रहत रहिच दुनु झन अब्बड़ मया करय ओमन ह राजा के बेटा ल डुबत रहिच त बचाये रहिच त एक दिन उमन ल ओ एरिया के राजा ह राज दरबार म भुलाइच डोकरा डोकरी सोच म पड़ गे हमन कुछु नई करेंहन तभो हमन ल कबर राजा ह भुलाय हवय हीरू हीरू दूनो झन राज दरबार बर निकलीच अऊ ओमन ह रद्द ल भटक के जंगल कोती चल दिच आगे जात गेइच त ओमन ल एक झोपड़ी दिकीच ओ झोपडी म 4 - 5 ठन सांप मरे दिकिच तहले ओमन गाँव जबो काईके रद्द ढूढ़े धरिच अब्बड़ प्रयास करिच नई मिलच त ओमन सोचिच अब तो अहि जंगल म रहना हवय तहले ओमन ह एक ठन झोपड़ी बना लिच धीरे धीरे अब्बड़ दिन हो गिच राजा डोकरा से मिले बर तरसे ल धर लिच तह ले राजा ह सैनिक मन ल डोकरा डोकरी ल खोजे बर सब राज्य में भेज दिच अब मिलबे नई करिच तह ले जंगल मन में भेजेला धरिच खोजत खोजत सैनिक थक गेइच तब जाकर मिले वतकेच बेरा डोकरा डोकरी शरीर त्याग दिच जब राजा के पास समाचार पहुचिच कि डोकरा डोकरी ह ओखर माँ बाप ए तब राजा के एक झन सैनिक आके ओला दुखी समाचार सुनाइच की डोकरा डोकरी इ दुनिया म नई रहिच त राजा अब्बड़ दुःखी होइच काबर की ओमन कोई अऊ नहि राजा के माँ बाप थे जेन ल राजा अपन स्वर्थ भर ओमन ल छोड़ दे रहिच।
"अपन स्वर्थ भर कखरो जिंदगी ले मत खेल जब अपन संग होथे त पता चलते स्वर्थ से इंसान इंसानियत भूल ज थे।"
-अमित चन्द्रवंशी"सुपा"
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