एक सारांश अमित चन्द्रवंशी"सुपा" की कलम से 📫📖📚
सच पुछे तो आज जिंदगी कहानी सी हो गई हैं जिसे देखो दो पल साथ होते हैं फिर आंधी की तरह आ कर चले जाते हैं दिल और दिमाक को भ्रष्ट कर देते हैं।बेजोड़ परिवर्तन के साथ संघर्ष करते हैं फिर एक दफा आता हैं जब ओवरटेक हो जाता हैं और इंसान इंसान से अपने स्वार्थ के लिए रह जाता हैं ये जिंदगी मुठभेड़ स हाथापाई हो गया हैं जिसे देखो तनाव से भरे होते हैं । अपने नैतिक जिम्मेवारी के चलते आपस में लड़ बैठे हैं सामूहिक रूप से सब एक दूसरे को दूर जाने को तैयार बैठे हैं अपनी विशिष्ट प्रतिभा को छोड़ सब दूरिया को मजबुती से निभाना सीख रहे हैं ये दौर बड़ी संवेदना से वयतीत हो रहा हैं अच्छे बुरे बने लगे हैं और बुरे लोग अच्छाई से मुँह मोड़ लिए हैं। कोई मसीहा तो आये जो एक दफा ये दुनिया वाले को ज्ञान से उर्जावान कर दे और मनुष्यबल को पुरूषार्थ का पाठ पढ़ाकर घमण्ड दोष और बुराईयो का चकनाचुर कर दे उस फरिश्ते का बेसब्री से इंतजार हैं जो एक दफा इस दुनिया में अच्छाई का पाठ पढ़ाये जिसे ये दुनिया वाले शांति से जीना सीख जाये तथा किसी से नीच और उच्च का भावना न हो और ये वादी प्रेम पवित्र वायु से संचरित सदैव रहे।
आशा कभी खोना नही चाहिए आज नही तो कल लक्ष्य से ओवरटेक करेंगे पर अपने लक्ष्य से मुँह मोड़ लेना सही बात नही हैं जो हारता है वही खड़े होने का हिम्मत करता हैं ।
"जब तक कमल की पत्ती पानी में तैरती रहती है तब तक उसका मान नही होता है जैसे ही उसमे कमल फुल खिलता है कमल का रेप्यूटेशन अत्यधिक हो जाता हैं ।"
-अमित चन्द्रवंशी"सुपा"
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