बुधवार, 9 मई 2018

कश्मीर बदल रहा हैं

कश्मीर बदल रहा है

वो वादी जिसके पूरी दुनिया कायल है धरती में कोई जन्नत है तो वह सिर्फ कश्मीर है। कश्मीर की वादी बहुत मनमोहक है जो सभी को मन को भाँति है, यह भारत का एक ऐसा जगह है जहाँ सभी लोग घूमने जाने के ललायित होते है। धरती का स्वर्ग कहे जाना वाला कश्मीर दिन ब दिन बर्बाद हो रहा है, आखिर बर्बादी का राज क्या है यह सभी जानते है फिर भी मूक बने सब देख रहे है। अलगाववादी, नक्सलवादी तथा आतंकवादी आग की तरह बरप रहे है, सियासत की रोटी सेंकने में मशगूल है सभी आगे आने के नाम पर पीछे भाग रहे है, मसला तो वही है हल कहाँ है? दिन ब दिन हालात बतर हो रहा है, कभी पोलिश पर कभी CRPF के जवान कभी आर्मी ऑफिसर ऊपर पत्थराव हो रहा है लेकिन अब तो हद हो गई पर्यटक भी सुरक्षित नही है, एक ओर जहाँ हम सभी को कोश रहे है उधर दूसरी ओर रातोरात कश्मीर पंडित को खदेड़ दिए। सियासत की आंधी में सब झुलस कर रह गये, मौत के सौदागर आज भी जीवित है, कश्मीर का विलय रियासतों के एक करने में किया गया था जिसे सभी जगह का विकास हो सके लेकिन आज कश्मीर रोती बिलखती नजर आ रही है, मनमोहक वादी श्रीनगर का वह सुंदर दृश्य मन को मोह लेती है।

सत्ता चले जाये लेकिन देश का मान, इज्जत, विकास में बाधा नही आनी चाहिए, रोटी कपड़े और मकान सभी को चाहिए, कश्मीर में भी वही चाहिए लेकिन मौत के सौदागर सियासत की रोटियां सेंकने की काम क्यो कर रही है? आम जनता का हाल जनता तय करेगी सरकार नही, जवान की जो दशा कश्मीर में ही लानत है सियासत की कुर्सी में बैठने वाले पर, दोष देने के बाजये किसी को कोषने के बजाये काम करना चाहिए। अब सत्ता के लालची लोगों को उखड़ फेकने का समय है, वह वक़्त नही रहा की जुल्म होता रहे आवाज न उठाये, वो वक़्त नही रहा की शांत खड़े होकर देखते रहे अब एक्शन का वक़्त है कुछ भी करे तो पलटवार जवाब हमारे एक भाई शहीद होते है तो आतंकवादी और नक्सलवादी के हजार साथी को मार गिराना और बाधक को जड़ से मिटाना चाहिए।

देशभक्त हम एक बात से तय कर लेते है कि देश के साथ कौन कौन खड़ा है तो बात गलत है क्योंकि एक देशद्रोही भी कहता है कि मैं आजादी चाहिए , किस बात की आजादी आपस मे हम सबको लड़ाने के आजादी और देश को जरा जरा में बिखेर देने की आजादी। आजादी का सही मतलब हम आज कहि न कहि भूलते जा रहे है आकांक्षा मिश्रा जी को वो लाइन कानों गूंजता है "इतिहास में इतने रक्त बह चुके है कि अब देश बलिदान नही विकास मांग रही है।" खास ये बात सभी को समझ आ जाये तो देश में ये हाल नही होता और सियासत की रोटी नेता लोग भी न सेंक सके और शांतिपूर्ण तरीके से देश का विकास हो सके।

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