रविवार, 2 जुलाई 2017

जन्म मृत्यु

 जन्म-मृत्यु 

विधाता हमे एक मौक देता है और हमारा जन्म इस दुनिया मे होता है, जन्म सभी का होता है वह मानव हो या जीव जंतु इस दुनिया मे आने का अधिकार सभी का है । जन्मदिन के मौके पर जब आपके माँ मुस्काई थी नन्ही सी कली कब फूल में तब्दील हो जाता है पता नही चलता है विधाता ने जन्म इतना सुंदर लिखा है जिसकी किलकारी सुन सभी खुश हो जाते है। देखते देखते नाचीज नासीफ़ के ओर आगे बढ़ते जाता है पता नही चलता है जीवनचक्र इतना अदभुत होता है मानव मन की गहराई अपने बच्चो की भविष्य निर्धारित कर हर मुकाम के लिए तैयार करते है। अटूट सत्य है जिसे कोई नकार नही सकते है जैसे बहुत जगह बेटी को कोख में मार देते है लेकिन ये कहाँ का इंसाफ है?? एक बेटी का अधिकार है कि वह भी आम रहे और गलत का सामान करते हुए सत्यता के साथ अपनी मिशाल जिंदा रखे, भेदभाव त्याग बेटी हो या बेटा इसे प्यार से स्वीकार करना चाहिए क्योंकि यह प्राकृतिक की देन है जिसे हमे नकार नही सकते है। जन्म सरलता से नसीब नही होता है लेकिन मौत किस छण  हो जाये पता नही चलता है किसी बीमारी की वजह से जो मौत के दर से लौट आते है वास्तव में उनसे पूछने पर मृत्यु सन्या का पता चलता है जो अत्यंत कठिन है क्रोध में लोग बहुत कुछ कर लेते है लेकिन कुछ लोग क्रोध की जन्म होने पर भी अपना धैर्य नही खोते है और अपने उच्च विचार पर अमल कर तटस्थता की ओर गमन करते मानव मन की शांति प्रदान करते है। मौत से सभी लोग भयभीत होते है चाहे वह ज्ञानी हो अज्ञानी , पापी हो या धर्मी तथा जीवनदाता हो या अन्नदाता मौत से सभी भागते है कहते है जीवन मिला है इसे हम हँसी खुशी व्यतीत करे लेकिन विधाता ने जन्म दिया है तो मृत्यु भी लिखा है और एक न एक दिन पंचतत्व में विलीन सभी को होना पड़ता है। किसी ने सत्य कहा है कि शरीर और आत्मा का मिलन जीवन है और इन दोनों का वियोग मृत्यु है। इंसान धेय त्याग देते है लेकिन आत्मा एक शरीर से दूसरे शरीर मे चले जाता है तथा आत्मा सदैव जिंदा रहता हैं। हम लोग जन्म को स्वीकार करते है तो मृत्यु को भी स्वीकार करना चाहिए हम अक्सर मृत शरीर को देखकर कहते है इन्हें इतना जल्दी नही जाना था क्योंकि हमारा स्नेह भरा सम्बन्ध रहता है जिस कारण हम स्वभाविक आँसू को रोक नही पाते है। कर्मयोगी कहते है मृत्यु अर्थात् जीवन का हिसाब देने भगवान के घर जाना यह सत्य है जन्म और मृत्यु दोनों में हमे समझौता कर हमे स्वीकार करना चाहिए।

-अमित चन्द्रवंशी "सुपा"
उम्र-18वर्ष 'विद्यार्थी'
रामनगर,कवर्धा,छत्तीसगढ़

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