शनिवार, 3 अगस्त 2019

दोस्ती की दोस्ताना

दोस्ती की दोस्ताना

उम्र के हर पड़ाव में एक साथी की जरूरत पड़ती है, वह किसी भी रूप में हो सकता है बचपन मे माँ दोस्त का रूप लेती है और खाने से लेकर सब काम करती है। दोस्ती का दूसरा रूप जो उँगली पकड़कर चलना सिखाते है दुनिया से रूबरू कराते है वह पिता होता है, उम्र के हर दहलीज पर कोई न कोई एक इंसान होता है जो दोस्त जैसा होता है और हर उम्र में हर मोड़ में हमारा साथ देते है। बचपन मे दोस्त बहुत होते है जिनके साथ हमारी खट्टी मीठी यादे होती है, बचपन मे साथ बिताये पल वह अनोखी यादे होती है जो जहन में हमेशा होती है, साथ खेलते है, रोते हँसते समय बीत जाता है, बड़े होते है तब वह बचपन याद आता है। समय के सागर में विश्व में हम अलग अलग समय मे अलग अलग विचार वाले लोगो से मिलते है, जीवन मे अनेक अनुभव मिलते है जो सदा सुख के हित में होता है। सात्विक जीवन ऊंच विचार दोस्ती की याद दिलाती है, दोस्ती एक रिश्ता ही तो है जो विश्वास के नींव में टिकी हुई होती है, उम्र जैसे जैसे बढ़ती है हम एक नया अध्याय लिखते है जो विचारों का आदान प्रदान से होती है, समय के साथ विचारों में बदलाव आती है, विचार से रिश्ता मजबूत होता है। एक प्रेमी के लिए प्रेयसी का प्रेम का महत्व होता है वह दोस्त के तरह सादगी से जीवन निर्वाह करता है। एक माता के लिये सन्तान और उसका पति ही दोस्त होता है, जो सुख दुख का साथी होता है। एक पत्नी के लिए उसके पति से अच्छा कोई दोस्त नही हो सकता है, सभी को किसी न किसी उम्र में दोस्त की आवश्यकता होती है वह विभिन्न रूप में मिलते है। एक बेटी किसी की माँ, बहन, पत्नी और पुत्री होती है उसी तरह एक बेटा किसी का पुत्र, पिता, पति और भाई होता है, इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए वह जीवन के सभी कर्तव्यों को ध्यान में रखता है और अपना परिचय एक दोस्त के रूप में देता है और दुनिया में अपनी दोस्ती का दोस्ताना सुनाती है। बुजुर्ग होने पर एक पिता व एक माँ का दोस्त बेटा और बहु बन जाते है, यही तो दोस्ती की सार है जो हर हाल में हमे जीना सिखाती है।दोस्त की तुलना हम किसी से नही कर सकते है वह जिस भी हाल में हो हमेशा सुख चाहता रहता है जीवन मे अलग अलग रास्ते से गुजरना पड़ता है सत्य के लिए हमेशा अड़िग होना पड़ता है, सत्य के आधार पर दोस्ती चलती है।

-अमित चन्द्रवंशी "सुपा"
साइंस कॉलेज दुर्ग

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