वकालत से राजनीति की गलियारों में सुषमा स्वराज जी
सुषमा स्वराज जी का निधन देश के लिए अपूर्ण क्षति है, पक्ष और विपक्ष की भूमिका सादगी से निभाई, भारतीय राजनीति के लिए अपूर्ण क्षति है जिसे हम कभी भर नही सकते। प्रखर वक्ता, महान नेत्री जी का जाना राजनीतिक गलियारों में वेदना का समय है। सुप्रीम कोर्ट दिल्ली में वकालत करते, हरियाणा से विधायक 25वर्ष की उम्र में बना, फिर दिल्ली की प्रथम महिला मुख्यमंत्री बनकर, महिला सशक्तिकरण का उदाहरण पेश की। भारत की पहली महिला विदेश मंत्री बनी और पूरे विश्व मे भारत की एकता अखंडता का गुणगान किया। लोकसभा और राजसभा सांसद बनकर भारतीय राजनीति में सक्रिय रही, पक्ष और विपक्ष दोनों को भूमिका बखूबी निभाई, हमेशा धैर्य रखने की बात कहती, और विचारों में अमल करते हुए, सादगी से प्रश्न का जवाब देती थी। एक बार इन्होंने यह भी ट्वीट किया था कि यदि आप मंगल में भी फंसे है तो आपका मदद इंडियन एम्बेसी करेगी, सम्पूर्ण जीवन मे सरलतापूर्वक रही। 25 वर्ष की उम्र में कैबिनेट मंत्री हरियाणा के रूप में सेवा देते हुए विदेश मंत्री बने का सफर, विपक्ष में रहते हुए दिलेर इंसान बना, पक्ष में जब एक लोकसभा में भाषण दे रही थी तक आरोप प्रत्यारोप लगे तब सुषमा जी ने साफ कहा अपने साथियों को आप लोग साथ रहे मैं इनसे (विपक्षी) से निपट लुंगी, वास्तव में एक दृण इच्छा शक्ति उनमें थी, साफ राजनीति, सीधी सरल रूप में थी। सुषमा जी का अलग अलग शैली में भाषण हमेशा याद आएगी। यूनाइटेड नेशंस में जलवायु परिवर्तन पर विचार रखी और विदेश नीति में बहुत अच्छा काम किया, सुषमा जी का विदेश निति देखते हुये बनता था, नेपाल में आपदा आई तो सबसे पहले भारत पहुँचा यह सुषमा जी की सादगी थी, इंडोनेशिया की मदद के लिए यूनाइटेड नेशंस में ही बात रखी थी। इस लोक से सुषमा जी का पलायन कर जाना हमेशा खलेगी, नमन है ऐसी मातृ शक्ति को जो हमेशा देश के बारे में सोचती रही।
-अमित चन्द्रवंशी "सुपा"
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