बुधवार, 26 जून 2019

पौनी पसारी

पौनी पसारी जाति का महत्व

पौनी पसारी जाति का महत्व छत्तीसगढ़ समाज मे जितना है उतना ही उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश, झारखंड,बिहार, राजस्थान तथा महाराष्ट्र में भी है। पहले इनका निर्धारण अक्षय तृतीया जिसदिन गांव बनता है उसी दिन निर्धारित जो जाता था और दान पानी( फसल) मेहनतान कितना देना है सभी का रुपारेखा तय हो जाती थी।  पौनी पसारी जाति देखते देखते आधुनिक जीवन मे बिखर रहे या कहे अब कोई काम करना नही चाहते। ग्वाला,नाई, धोबी, लोहार, मोची, बइगा व कुम्हार आदि पौनी पसारी जाति में आते है इनका महत्व प्राचीन इतिहास में बहुत था आज भी गांव में निहित है।जब भी कुछ होता है गाँव के मुखिया या दाऊ या गांव का गौटिया या जमींदार आदि के घर तब पानी ग्वालिन भरती है और घर का सम्पूर्ण काम करती है, ग्वाला गाय को चराने के लिये लेकर जाता है और दूध दुहता है।मृत्यु हो जाती है किसी का तब घर हिन्दू रीतिरिवाज से अशुद्ध हो जाता है तब ग्वालिन काम करती है।  दीपावली त्यौहार में गोवर्धन पुजा का बहुत महत्व है गोवर्धन के ऊपर चलने के बाद गाय की पूजा की जाती है फिर उसके बाद खिचड़ी खिलाने का कार्य करते है, फिर मोर पंख लगाते हैं ग्वाला 1-2 खाड़ी  में लगता था पहले, अब पैसा भी देना पड़ता है। समय बीत मांग बढ़ रहा है आधुनिक जीवन मे जरूरत पढ़ते जा रही है आज के समय में कुछ पीढ़ी दर पीढ़ी काम करना पसंद नहीं करते हैं सभी लोगों को अपने आसपास बदलाव देखने को मिल रहा है टाइम कम ही देखने को मिल रहा है शहर में नाई बड़ी-बड़ी दुकानों में सलून खोल डाले हैं पहले किसान को खोजते बाड़ी खेत बगीचा जहां भी देखते हैं उनका दाढ़ी और मूंछ बनाते हैं।पूजा हवन आदि के लिए आम की लकड़ी, दूबी फुल पान का जुगाड़ नाई करता था नाई दोना  पतली बनाता था जिसे विवाह में विवाह दशगात्र कार्यक्रम उपयोग में लाया जाता था बदलते समय में यह सब मशीन द्वारा बनता है। धोबी का काम है कपड़े धोने का किसी की मृत्यु हो जाती है तब पूरे घर का कपड़ा धोने की जिम्मेदारी धोबी की होती है और घर का शुद्धिकरण की काम करता है। पहले सुहाग देने की परंपरा थी जिसे धोबी निर्वाह करता था अब यह बंद हो चुकी है। मोची जुता बनाने का काम करता है जूता बनाने का कार्य करता है कोर्रा चमड़ा का समान, बेल्ट ,चप्पल जूता पर्स बनाने का काम करता है। कुम्हार दिवाली त्यौहार में दी और मटका दीपी देने आते हैं अक्षय तृतीया में चुकिया और मटका पानी भर के बगीचे में  और पीपल के पेड़ के नीचे रखे जाते हैं।कुमार के पास बहुत सी कला होती है घोड़ा गाड़ी बच्चे लोगों खेलने के लिए बनाते हैं पुतला पुतली बनाते हैं। लोहार अपने कार्य में महारत हासिल किया हुआ है सभी प्रकार के और बहुत सारे औजार बनाने आते हैं जैसे रापा कहती गैती, सबल आदि पर खेती करने के किस्म किस्म के औजार बनाते हैं लेकिन यह सभी खत्म हो रहे है  जब से जब से ट्रैक्टर हार्वेस्टर आया है तब से खत्म होती जा रही है धंधा चोपट सी हो गई है धीरे-धीरे काम खत्म होते जा रहे हैं बैगा का काम होता है देव देवालय माहमाया में पूजा-पाठ काम करने का जो जवारा जोत जलाने का काम करते हैं आधुनिक आधुनिक शहर में आज यह खत्म हो रहा है। बदलरे वक्त में आज रहते हैं सभी चीजें भूलते जा रहे हैं बदलाव के जीवन में हम अनिरीक्षित बदलते देख रहे हैं मशीन इस दुनिया में सभी चीजों के साथ मुश्किल है आज की पीढ़ी को दिखाने के लिए म्यूजियम बनाने की आवश्यकता है  बदलते वक्त में संस्कृति को संजोकर रखने के लिए अपनी संस्कृति को आधुनिक जीवन में साथ साथ लेकर चलने की जरूरत है समाज को एक दूसरे के साथ जोड़कर रहने की जरूरत है।

-अमित चन्द्रवंशी "सुपा"

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