मैं हु जवान!
मेरा काम आपका साथ
मेरा काम देश में शांति लाना
सरहद पर दिन रात कार्य करना
जीवन से लड़ना संघर्ष करके शहीद होना
अपना जरूरत को भूल कर
अपने देश का सम्भालना
बीच रास्ते में ख़ुशी को भूल जाना
देश की अवस्था की पहल करना
जीवन से बेरुख होकर डयूटी देना
सरहद में रहकर अपना आस्तित्व खो देना
आंतक से लड़ना जन्म से श्रद्धा हैं
युही हम कब तक खून से खेले?
मेरे जीवन में एक मोड़ जवान हूँ
मैं भी किसी का सन्तान हूँ
हम भी किसी की परिछाई हैं
अपने परिवार का खोया हुआ अंग हु
मेरा जीवन सरहद में तत्पर हैं
अपनों का मुश्कान मेरे मन में जीवित है
आंतक का खत्म कब ?
जीवन से लड़ना मुसीबात का सामना करना
हम पर गोली का बौछार कब तक?
युही रास्ते पर हम पर हामला कब तक?
हम जीवन की असमय में ही खो जाते हैं
आंतक का खत्मा अभी तक नही हुआ हैं
मेरा अमरत्व बलिदान का कुछ मोल नही
अभी तक आंतक खत्म नही हुआ हैं।
-अमित चन्द्रवंशी
बुधवार, 30 मार्च 2016
मैं हु जवान
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