आज मानव मानव में चक्रवात उत्पन्न हो गया है
मानव मानव का बुराई करने में तुला है
कल तक प्यार बाटने वाले आज दुःख देते है।
बस कुछ साल पहले घर में कोई आना अच्छा था,
आज वह बुराई में ताब्दिल होगया।
वह दिन चला गया
आज भी हम वही है
आज सिर्फ हमारे मन और उम्र में परिवर्तन हो गया है।
आज पडोसी के घर किसी की मृत्यु हो जाये
मन की मानकर खड़े होकर देखते है और कहते है अच्छा हुआ चले गया।
आज खुशिया में साथ देने के लिए खड़े होते है तो सर्फ उसमे हमारा स्वार्थ होता है।
आज मानव मानव में कठोर युद्ध हो रहा है
कल तक किसी और के लिए जीते थे आज खुद के लिए जी रहे है।
समय परिवर्तीत हो रहा है मानव के दशा बदल रहा है।
गुरुवार, 15 अक्टूबर 2015
एक दशक में बदलाव
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