मंगलवार, 22 दिसंबर 2015

दामिनी तथा निर्भय के लिये इंसाफ

आँखों में चमन थी, दुनिया के लिए मिसाल थी
झुलस गई इस दुनिया के अंधकार में।

क्या जरूरत थी ?
आधी रात 12बजे सफर करने की

इंसाफ के लिए जिन्दा थी कहा गई दामिनी की  इंसाफ ?

आज इंसाफ नही मिला , कातिल थे वे
जिसे आपका परवहा नही किया गया।

क्या हुआ ? आज दुनिया शर्मसार होगया
वीरता के लिए जाने वाला देश आज वीरता कही खो गई आज मेरा शर्मसार होगया।

आँखों में चमन थी , जीने की लालशा थी
निर्भय ही जीवन बचा नही सका
मेरा देश फिर से शर्मसार होगया।

रात्रि में कलिसांय थी मन में अनचाहे इच्छा थी

निर्भय ही जीवन सन्दिग्ध हो गई आज करुणा में पूरी दुनिया शर्मसार होगई।


आखिर उसके घर में बेटी नही निश्चय ही वह पापी था आखिर इतनी हैवनियत क्यो ?

आखिर बलिक होते हुए भी नबलिक क्यो कहा दिया ?

निश्चय ही दुनिया शर्मसार होगया।

हैवानियत ही सारी दुनिया शर्मसार होगया

दामिनी के दामन के साथ छेड़छाड़ हो गया ,

आखिर क्यो वह नबालिक घोषित होगया ?



दुनिया से जवाब मांगता हु आखिर नारी के साथ कब तक होगा ये  ?

आखिर कब तक निर्भय जैसी कन्या झुलस जाएँगी ?

आखिर मै इंसाफ मांगता हु , निर्भय के साथ ये दुर्वयवहार क्यो होगया ?
आँखों में चमन थी , जीने की लालसा थी।

"देश में इंसाफ नही परन्तु अन्याय हुआ है देश की एकाग्रता में निर्भय और दामिनी के साथ  अन्याय हुआ एकता में अनेकता के कारण।"

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें