गुरुवार, 8 अक्टूबर 2015

एक कदम किसान की सुख की ओर

मंजिल तक जाना है, तो अन्न चाहिए
जीवन जीना है, किसान को प्यार चाहिए।

कब तक फसल बर्बाद होगा और कब तक जल की किलत होगा?
कब तक किसान मरता रहेगा? किसान को इंसाफ चाहिए।

मैं तो मात्र किसान हु, और धरती माँ का सेवक हु।
इसलिये अच्छे पैदावार के लिए जल चाहिए।

जल नही है हमारी भरपाई कौन करेगा ये मैं आपसे सावल पूछता हु।

जल कही खो गया है कल बंजर जमीन को उन्नतशील बनया आज वह बंजर में फिर तब्दिल होगया।

एकदिन मानव की सभ्यता खत्म हो जायेगा, जिस दिन अन्न की किलत हो जायेगा।

मेरी तो पूरी जिंदगी सिमट गई है,
आज मेरे खेत में सिर्फ सुखी मिट्टी है।

किसान था खेती करना मेरा धर्म था,
लेकिन आज मै जल के लिए गरीब हो गया।

अन्न को बचा ना सका आज जल की कमी हो गई,
धरती माँ पर आज मैं बोझ हो गया
इसलिये धरती माँ को आलविद् कहा दिया।

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