रविवार, 26 मार्च 2017

मेरा देश मेरी पहचान

मेरा देश मेरी पहचान....

हमारी एक पहचान हमे गौरवंतीत करता है वह है इंसानियत का, सम्पूर्ण स्थान में पूज्य है इंसान की इंसानियत । कर्म ही पहचान है , जाति तो हम बनाये है नही तो खुदा ने तो हमे इंसान बनाये है। जाति सब कुछ नही होता है मानवता संस्कार विचारणीय योग्य है, आये दिन विश्व के लोग हमारी पहचान पर नजर गड़ाई हुई बैठी है।

संस्कृति एकता से भरपूर
                                  प्राचीनता से युक्त ,
भाईचारे का मिशाल देता
                                  मेरा महान भारत।

कल्पना नही देश में मिशाल कायम है, 'विश्वगुरु' ख्याति प्राप्त लिए हुए संस्कृति , शिक्षा , संस्कार तथा शांति की धरोहर मेरा देश। महानता किसी एक की देन नही है , हमारी एकता ही पहचान है। प्राचीन ग्रन्थों की उल्लेख अनुठा छाप है , जो सभी को एकता में बंध के रखती है; महत्व सभी का समान है गीता का कुरान का सभी योग्य है।

जहाँ नारी पूज्य हैं,
                         नदी को माँ कहते है।
एकता का भारत,
                        यहाँ मस्तक झुकता हु।।

इतिहास में नारी पूज्य है , पुरुष प्रधान देश में आज भी महिला किसी से काम नही जाति नही कर्म ही पहचान है ; गंगा सरस्वती यमुना नदी नदी न होकर अमूल्य संस्कृति है भारत माँ के संतान अनन्त है, सुंदरवन डेल्टा अपने आप में प्रकृति की अनुठा देन है। न कोई हिन्दू न कोई मुसलमान , भारत है अनेकता में एकता का जहाँ सभी का मान है ; निगाहे झुकता है मस्जिद में , मस्तक टेकते है मंदिर में सभी यहाँ भाई-भाई है।

केसर से लहरता ,
                         धान से भरा पड़ा।
गन्ना का जड़ मजबूत,
                         नारियल के पेड़ खड़े है।

जंगल , पहाड़ ,समुद्र तथा रेगिस्तान से घिरा हुआ भारत अपने आप में विकशित है ; शक्ति, साहस, योग्य से भरा हुआ है कोई भी आँख उठाकर नही देख सकते। एकजुटता भाईचारे नश-नश में समाहित है।सभी राज्य का महत्व अलग है अलग है जैसे असम केसर से भरा पड़ा है , केरल नारियल से , बिहार ताड़ वृक्ष से आदि।

इन्सानियत ही हमारी पहचान है,
                                   समाज है निशानी ।
हम सब है सन्तान भारत माँ की,
                                   मेरा महान भारत।

कृषिप्रधान देश  है जहा अन्नदाता (किसान) के बल पर पूरी दुनिया ठीका हुआ है, जरूरत से अधिक अन्न उत्पादन करते है हमारी पहचान किसान भी है , दया प्रेम किसान की देन है ; इनके बिना तो हमारी पहचान अधूरी है , और बिना इनके साथ देश शून्य है ।

जय हिंद जय जवान..!!

-अमित चन्द्रवंशी "सुपा"
उम्र-18वर्ष 'विद्यार्थी'
रामनगर कवर्धा छत्तीसगढ़
मो.-8085686929

www.jindagikesathkhilwaad.blogspot.com

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